मसूरी तो घूमे ही होंगे ना आप…

पहाड़ों की रानी मसूरी इन दिनों वीरान-सी है। उसे इंतजार है उन सैलानियों का जो उसकी खूबसूरती को समझ सके। पहाड़ों पर आई प्रलय की मार मसूरी जैसे सुरक्षित पर्यटन स्थलों को भी झेलनी पड़ रही है।

कद्रदान ऐसे रूठे कि हजारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। सड़क के किनारे भुट्ठा बेचने वाले से लेकर होटल कारोबारी तक। मसूरी के वर्तमान हालात को निमभन तीन दृश्यों से समझ सकते हैं। �

सस्ते हो गए होटल रूम
आजकल मसूरी के होटलों में ग्राहकों केलिए साठ प्रतिशत तक की छूट चल रही है। प्रतिदिन तीन हजार रुपये में मिलने वाला कमरा आजकल 1200 रुपये में मिल रहा है। इसी तरह लंच ओर डिनर में भी छूट दी जा रही है।

रुपये की गिरावट में उम्मीद
डालर के मुकाबले रुपये में हर रोज आ रही गिरावट की वजह से भले ही देश की अर्थव्यवस्था हिल गई है लेकिन मसूरी के होटल व्यवसायी इसमें भी उम्मीद तलाश रहे हैं। उन्हें आशा है कि रुपये का मूल्य कम होने से विदेशी पर्यटक आएंगे। यदि ऐसा हुआ तो उनकी मंदी दूर होगी।

दृश्य एक
स्कूली दिनों में बाबा नागार्जुन कविता पढ़ी थी बादल को उड़ते देखा है। जब मसूरी की वादियों में बादल को उड़ते हुए देखा तो कविता याद आ गई। बादल कभी हमसे नीचे चले जाते और कभी ऊपर। अगले ही पल एकदम से सामने आ जाते तो कभी समूची घाटी बादलों से खाली हो जाती। मानो अनेक घरों में एक साथ चूल्हा जला दिया गया। इसी पल याद आता कि आजकल यहां हर घर में चूल्हे बड़ी मुश्किल से जल रहे हैं।

दृश्य दो
हम कैंपटी फाल के करीब थे। यहां से झरना किसी सफेद नदी की तरह बहता नजर आया। आसपास अजीब सी खामोशी थी। मसूरी होटल एसोसिएशन के सचिव अजय भार्गव ने बताया कि आजकल पर्यटक नहीं आने से यहां के प्रत्येक कारोबारी मार पड़ी है।

रोपवे का संचालन करने वाली युवती से पूछा कि धंधा कैसा चल रहा है तो उसने बताया कि बहुत मंदा है। इस माह में हर रोज तकरीबन चार सौ लोग रोपवे का इस्तेमाल करते थे लेकिन इस साल अब हर रोज दो सौ लोग भी नहीं आ रहे हैं। कोई दुकानदार मोबाइल पर बिजी था तो कुछ ताश के पत्ते खेल रहे थे।

दृश्य तीन
बेहद खूबसूरत कंपनी गार्डन गए तो वहां एक भी पर्यटक नजर नहीं आया। गार्डन में खिले साल्बिया लाल रंग फूल बड़े आकर्षक लग रहे थे। बच्चों के खेलने के झूले और झील में वोटिंग बंद थी। इस गार्डन की खासियत यहां की नर्सरी है।� इसमें आप विगोनिया, साइक्लामिन, पेंजी, कोलियस, साल्बिया, लीली, गुलाब, हाड्रोंजिया, देहलिया, जश्मीन, साइप्रस और चंबा जैसे फूलों को देख सकते हैं। जिन्मोवाइलोबा जैसा अनमोल पेड़ भी यहीं देखने को मिल सकता है। यह दुनिया में बहुत कम जगहों पर पाया जाता है।पहाड़ों की रानी मसूरी इन दिनों वीरान-सी है। उसे इंतजार है उन सैलानियों का जो उसकी खूबसूरती को समझ सके। पहाड़ों पर आई प्रलय की मार मसूरी जैसे सुरक्षित पर्यटन स्थलों को भी झेलनी पड़ रही है।

कद्रदान ऐसे रूठे कि हजारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। सड़क के किनारे भुट्ठा बेचने वाले से लेकर होटल कारोबारी तक। मसूरी के वर्तमान हालात को निमभन तीन दृश्यों से समझ सकते हैं। �

सस्ते हो गए होटल रूम
आजकल मसूरी के होटलों में ग्राहकों केलिए साठ प्रतिशत तक की छूट चल रही है। प्रतिदिन तीन हजार रुपये में मिलने वाला कमरा आजकल 1200 रुपये में मिल रहा है। इसी तरह लंच ओर डिनर में भी छूट दी जा रही है।

रुपये की गिरावट में उम्मीद
डालर के मुकाबले रुपये में हर रोज आ रही गिरावट की वजह से भले ही देश की अर्थव्यवस्था हिल गई है लेकिन मसूरी के होटल व्यवसायी इसमें भी उम्मीद तलाश रहे हैं। उन्हें आशा है कि रुपये का मूल्य कम होने से विदेशी पर्यटक आएंगे। यदि ऐसा हुआ तो उनकी मंदी दूर होगी।

दृश्य एक
स्कूली दिनों में बाबा नागार्जुन कविता पढ़ी थी बादल को उड़ते देखा है। जब मसूरी की वादियों में बादल को उड़ते हुए देखा तो कविता याद आ गई। बादल कभी हमसे नीचे चले जाते और कभी ऊपर। अगले ही पल एकदम से सामने आ जाते तो कभी समूची घाटी बादलों से खाली हो जाती। मानो अनेक घरों में एक साथ चूल्हा जला दिया गया। इसी पल याद आता कि आजकल यहां हर घर में चूल्हे बड़ी मुश्किल से जल रहे हैं।

दृश्य दो
हम कैंपटी फाल के करीब थे। यहां से झरना किसी सफेद नदी की तरह बहता नजर आया। आसपास अजीब सी खामोशी थी। मसूरी होटल एसोसिएशन के सचिव अजय भार्गव ने बताया कि आजकल पर्यटक नहीं आने से यहां के प्रत्येक कारोबारी मार पड़ी है।

रोपवे का संचालन करने वाली युवती से पूछा कि धंधा कैसा चल रहा है तो उसने बताया कि बहुत मंदा है। इस माह में हर रोज तकरीबन चार सौ लोग रोपवे का इस्तेमाल करते थे लेकिन इस साल अब हर रोज दो सौ लोग भी नहीं आ रहे हैं। कोई दुकानदार मोबाइल पर बिजी था तो कुछ ताश के पत्ते खेल रहे थे।

दृश्य तीन
बेहद खूबसूरत कंपनी गार्डन गए तो वहां एक भी पर्यटक नजर नहीं आया। गार्डन में खिले साल्बिया लाल रंग फूल बड़े आकर्षक लग रहे थे। बच्चों के खेलने के झूले और झील में वोटिंग बंद थी। इस गार्डन की खासियत यहां की नर्सरी है।� इसमें आप विगोनिया, साइक्लामिन, पेंजी, कोलियस, साल्बिया, लीली, गुलाब, हाड्रोंजिया, देहलिया, जश्मीन, साइप्रस और चंबा जैसे फूलों को देख सकते हैं। जिन्मोवाइलोबा जैसा अनमोल पेड़ भी यहीं देखने को मिल सकता है। यह दुनिया में बहुत कम जगहों पर पाया जाता है।v

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